Sunday, 22 April 2018

सपना चौधरी के बारे में (about sapna choudhary life)

हरियाणा की मशहूर डांसर सपना चौधरी का नाम लेते ही लोगों के कान खड़े हो जाते हैं। फिर चाहे हरियाणा क्या आसपास के सभी राज्यों में सपना का डांस बेहद फेमस हैं। हम अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि एक बार जब सपना चौधरी यूपी के मेरठ जिले में आई थीं तो लोगों ने उनके आगमन में पानी की तरह पैसा बहा था। हालांकि सपना चौधरी मेरठ में ज्यादा देर नहीं रूकी थी क्योंकि उस दौरान कार्यक्रम में हंगामा हो गया था।
सुअर के बारे में रोचक बातें

उसने 12 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था जिसके बाद वह अपने परिवार को चलाने के लिए नृत्य करना शुरू कर चुकी थी।अपने नृत्य की प्रारंभिक लोकप्रियता के बाद, उसने एक ऑर्केस्ट्रा समूह का गठन किया। सपना चौधरी के 'ऑर्केस्ट्रा ग्रुप ‘ को अब भारत में अग्रणी ऑर्केस्ट्रा ग्रुप में स्थान मिला है।भारत में कई राज्य और हरियाणा में बहुत लोकप्रिय गायक और डांसर हैंआज, वह उत्तर भारत में विशेष रूप से हरियाणा में सर्वाधिक मांग वाले मंच पर काम कर रही है।सपना वर्तमान में भारत में सबसे पसंदीदा डांसर हैं।



Sapna Choudhary का जन्म 1990 में रोहतक, हरियाणा में एक मध्यम वर्ग के परिवार में हुआ था। उनके पिता एक निजी कंपनी कर्मचारी थे। लेकिन उनकी अचानक मृत्यु के कारण सपना के शुरुआती जीवन में संकट ने घेर लिया गया। अंततः इस वित्तीय संकट की स्थिति में सपना में डांस करना शुरू किया। सपना बचपन से ही सांस्कृतिक गतिविधियों के बारे में बहुत भावुक थी। अंततः आजीविका का प्रबंधन करने के लिए मंच पर नृत्य करना शुरू कर दिया। उन्होंने रोहतक शहर से अपनी पढ़ाई है।


सपना चौधरी हरियाणा की एक बहुत सुंदर और सबसे लोकप्रिय डांसर है। वह निचले दबके से आती है और आजीविका के प्रबंधन के लिए मंच पर प्रदर्शन करती है। सपना भारत भर में उस समय नज़रो में आयी जब सपना आत्महत्या करने का प्रयास किया था। और बहुत ही कम समय के भीतर मीडिया के क्षेत्र में अपना नाम स्थापित किया है। सपना चौधरी हाल ही में अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन इस कम समय में उन्होंने खुद को एक लोकप्रिय डांसर के रूप में स्थापित किया। वह आखिरी बार अपनी मां के साथ दिल्ली में देखी गई थी। सपना चौधरी के परिवार में एक भाई और एक बहन है।
पाद के बारे में रोचक तथ्य

Sapna Choudhary ने स्टेज परफॉरमेंस के साथ मीडिया क्षेत्र में यात्रा शुरू की। Sapna Choudhary हरियाणा राज्य में एक बहुत लोकप्रिय डांसर और गायक हैं। वह अपने पहले गीत ‘सॉलिड बॉडी‘ के कारण हरियाणा के अलावा अन्य शहरों में भी प्रसिद्ध हो गई।

सपना भारत के सबसे विवादास्पद रिएलिटी शो बिग बॉस सीजन 11 के सबसे पसंदीदा और सबसे प्रतिभाशाली भागीदार हैं।

सपना चौधरी जब मेरठ में आई थी तो उन्होंने कहा था कि मुझे नहीं पता था कि मेरठ वाले मुझे इतना प्यार करते हैं। इतनी भीड़ मैंने अपने जीवन में पहले कभी नहीं देखी। साथ ही उन्होंने कहा था कि अब मेरठ कभी नहीं आऊंगी।
जब सपना चौधरी मेरठ के डाबका गांव में आई थी तो वहां इतनी भीड़ इकट्ठा हो गई थी कि पुलिस को काबू करना भारी पड़ गया था।
एक बार सपना चौधरी ने अपने खिलाफ एक मामला दर्ज होने के बाद तनाव में खुदकुशी करने की कोशिश की थी।
सपना चौधरी पर आरोप लगा था कि उन्होंने गुड़गांव के चक्करपुर इलाके में रागिनी प्रोग्राम के दौरान दलितों के लिए अपशब्द कहे।

कुछ खास बातें राधे मां की
सपना चौधरी की सबसे खास बात यह है कि वो हमेशा अकेली ही डांस करती हैं।
सपना चौधरी करीब छह राज्यों हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, यूपी, राजस्थान और उत्तराखंड में कार्यक्रम कर चुकी हैं।
सपना चौधरी जब भी कोई गाना गाती हैं तो सबसे पहले उसको यूट्यूब पर अपलोड करती हैं।
आपको बता दें कि सपना चौधरी शादीशुदा हैं।
क्या आपको पता हैं कि सपना चौधरी इन दिनों फेसबुक के जरिए काफी सुर्खियां बटोर रही हैं ? 

बाबासाहेब की जीवनी
हाल ही में हरियाणा के गुरुग्राम में स्टेज पर परफॉर्मेंस के लिए उतरी सपना चौधरी ने अपने नए गाने पर शानदार डांस किया। सपना का डांस देखकर लोगों ने सपना पर नोटों की बारिश तक की।

Saturday, 21 April 2018

दुनिया के अजब रोचक तथ्य

 ग्रीक और बुलगारिया में एक युद्ध सिर्फ इसलिए लड़ा गया था क्योंकि एक कुत्ता उनका border पार कर गया था.

 कोई अपनी सांस रोक कर खुद को नहीं मार सकता.

आप को कभी भी यह याद नही रहेगा कि आपका सपना कहाँ से शुरू हुआ था.

Keyboard पर टॅायलेट सीट से 60 गुना ज्यादा germs होते है.

 हर साल 4 लोग अपनी पैंट बदलते समय अपनी जान गवा देते हैं.
सुअर के बारे में रोचक बातें



.अगर पृथ्वी को सेब के आकार का बना दे तो पृथ्वी के ऊपर वायुमंडल केवल उसके छिलके के बराबर होगा .

टाइटैनिक जहाज को बनाने को लिए उस समय 35 करोड़ 70 लाख रूपये लगे थे जबकि टाइटैनिक फिलम बनाने के लिए 1000 करोड़ के लगभग लागत आई.

. चीन में आप किसी व्यक्ति को 100 रूपया प्रति घंटा देकर अपनी जगह लाइन में लगने के लिए कह सकते है.

 बिल गेट्स हर सेकेण्ड में करीब 12000  रुपये कमाते हैं यानि एक दिन में करीब 102 करोड़ रूपये.


मुहम्मद दुनिया का सबसे common name है.

अफजल खान की एक बीवी ने उसे शिवाजी की शरण जाने को कहा तो अफजल खान इतना भड़क गया कि उसने अपनी सारी 63 बीवीयो को मार कर एक कुएं में फिंकवा दिया.
पाद के बारे में रोचक बातें

 दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान हिमाचल प्रदेश के चायल नामक स्‍थान पर है। इसे समुद्री सतह से 2444 मीटर की ऊंचाई पर भूमि को समतल बना कर 1893 में तैयार किया गया था।



YouTube अभी तक चीन, उत्तरी कोरिया और ईरान में केवल एक इंटरनेट सर्विस पर बैन है बाकी के सभी देशों में YouTube चल रहा है।
अजब गजब रोचक तथ्य


YouTube पर 1 सेकंड में 100000 से भी ज्यादा वीडियो देखी जाती हैं।


 व्यक्ति खाना खाए बिना कई हफ्ते गुजार सकता है, लेकिन सोए बिना केवल 11 दिन रह सकता है।

जिस हाथ से आप लिखते हैं, उसकी उंगलियों के नाखून ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।

हमारे शरीर में लोहा भी होता है इतना कि एक शरीर से प्राप्त लोहे से एक इंच की कील भी तैयार की जा सकती है |

एक सामान्य मनुष्य अपने पूरे जीवनकाल लगभग 2 लाख किलोमीटर चलता है.



 भास्‍कराचार्य ने खगोल शास्‍त्र के कई सौ साल पहले पृथ्‍वी द्वारा सूर्य के चारों ओर चक्‍कर लगाने में लगने वाले सही समय की गणना की थी। उनकी गणना के अनुसार सूर्य की परिक्रमा में पृथ्‍वी को 365258756484 दिन का समय लगता है।

 वाराणसी, विश्‍व का सबसे पुराना और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है।
पेशाब के बारे में रोचक बात


भारत 17वीं शताब्‍दी के आरंभ तक ब्रिटिश राज्‍य आने से पहले सबसे सम्‍पन्‍न देश था। क्रिस्‍टोफर कोलम्‍बस भारत की सम्‍पन्‍नता से आकर्षित हो कर भारत आने का समुद्री मार्ग खोजने चला और उसने गलती से अमेरिका को खोज लिया।

 संस्कृत सभी उच्च भाषाओं की जननी माना जाता है. क्योंकि यह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के लिए सबसे सटीक है, और इसलिए उपयुक्त भाषा है.



 लोग सबसे ज्यादा तेज फैसले तब लेते है जब वह वीडियो गेम खेल रहे होते हैं.

हर साल दो मिनट ऐसे होते है जिन्में 61 सैकेंड होते हैं.

आम तौर पे classes में पढ़ाया जाता है कि प्रकाश की गति 3 लाख किलोमीटर/सैकेंड होती है पर असल में यह गति 2,99,792 होती है.


हर सैकेंड 100 बार आसमानी बिजली धरती पर गिरती है.

 ताश के पत्तों में जो राजा होते हैं वे इतिहास के किसी न किसी राजा को दर्शाते हैं.

Spades (हुकुम)  – किंग डेविडClubs (चिड़ी) –  सिकंदर महानHearts (पान) – शारलेमेनDiamonds ( ईंट) – जूलियस सीज़र



. इतिहास में सबसे छोटा युद्ध 1896 में England और Zanzibar के बीच हुआ. जिसमें Zanzibar ने 38 मिनट बाद ही सरेंडर कर दिया था.

धन्यवाद

Friday, 20 April 2018

सुअर के बारे में रोचक बात

सूअर.. ये शब्द किसी आदमी को नीचा, पागल, मंदबुद्धि दिखाने के लिए अक्सर प्रयोग होता आया है. और मैं यह कहता हूं  आपने भी किया होगा. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दे, कि सूअर आपकी सोच से कही ज्यादा स्मार्ट और दिमागी होता है.

दुनिया में करीब 2 अरब सूअर है और इनमें से आधों का कत्ल हर साल मीट के लिए कर दिया जाता है.

सबसे ज्यादा सूअर चाइना में है, करीब 44 करोड़. 2nd नंबर पर अमेरिका है.

हर साल 1 March को अमेरिका में “National Pig Day” के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरूआत सन् 1972 में की गई थी.

क्या आपको लगता है सूअर धीमा भागता है ? एक सूअर 1 मिनट में 1000 फीट, यानि 11mile/hour की speed से दौड़ सकता है. भागते हुए सूअर का पीछा करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि ये सीधा भागने की बजाय़ टेढा-मेढा भागता है.

पाद के बारे में रोचक बातें

सूअरों से हमें चमड़ा, गोंद, चर्बी, खाद, इंसुलिन और 40 तरह की दवाईयाँ मिलती है.

सूअर के बाल इतने टाईट होते है कि पेंट करने वाली ब्रुश इन्हीं की बनती है.

हड्डी टूटने पर सूअर के घी की मालिश करने से बहुत जल्द ठीक हो जाती है.

 सूअरनी साल में 2 बार बच्चे पैदा करती है. इसका गर्भ 114 दिन (3 महीने 3 हफ्ते 3 दिन का) होता है और यह एक बार में 7 से 12 बच्चों को जन्म देती है.

सूअर के पास पसीना छोड़ने वाली ग्रंथियाँ नही होती इसलिए यह गर्मियों में अपने शरीर के तापमान को ठंडा रखने के लिए कीचड़ में भिगोता है.


सूअर किसी 3 साल के बच्चें और कुतो से ज्यादा समझदार होता है. समझदारों की सूची में ये चिम्पेंज़ी,डोलफिस और हाथी के बाद चौथे नंबर पर आते है. आपको जानकर हैरानी होगी कि सूअर विडियो गेम भी खेल सकते है.
 सूअर की चीख की आवाज़ 115 decibels तक हो सकती है. ये एक सुपरसोनिक विमान (आवाज की गति से भी तेज चलने वाले जहाज ) से भी 3 decibels ज्यादा ही है. जबकि इंसान के कान 120 decibels तक की आवाज सुन सकते है.

शरीर के आकार के हिसाब से सूअर के फेफड़े बहुत छोटे होते है.

सूअर, इंसानो से ज्यादा तरह के स्वाद चख सकते है. इंसानों के पास 9000 जबकि सुअरों के पास 15000 स्वाद कलिकाएँ होती है.

सूअर की त्वचा टैटू छापने के लिए बहुत अच्छी होती है, बिल्कुल हम इंसानों की तरह.

 जितनी डेनमार्क देश की जनसंख्याँ है उससे दो गुना ज्यादा यहाँ पर सूअर है.

 ईजराइल में यहूदी सुअर नही पाल सकते और फ्रांस  में सूअर का नाम नेपोलियन नही रख सकते. दोनों देशों में यह कानूनन जुर्म है.


सूअर आसमान की तरफ नही देख सकते, क्योंकि इनकी आखें इनके सिर के किनारों पर होती है.


दुनियाभर में “Pork“(सूअर का मांस) सबसे ज्यादा खाया जाने वाला मांस है. सूअर के मांस में किसी भी और फूड से 3 गुना ज्यादा thiamine होता है जो हमारे इम्यून सिस्टम को ताकत्तवर बनाता है.

खाने में सूअर के शरीर का सबसे स्वाटिष्ट हिस्सा उसके कंधे के पास वाला भाग होता है जिसे butt कहा जाता है.

 10 इंच की लंबाई और 6 किलो वजन के साथ “Pygmy Hogs” दुनिया के सबसे छोटे सूअर है. जो अब केवल भारत में पाए जाते है और 150 से भी कम बचे हुए है.


अभी तक के रिकाॅर्ड के अनुसार सबसे बड़ा सूअरपौलेंड-चीन का “Big Bill” था. जिसका वजन करीब 1157 किलो और कंधे तक की ऊंचाई 5 फीट और लंबाई 9 फीट थी. इसकी 1933 में मौत हो गई, ये इतना बड़ा था कि चलते हुए इसका पेट धरती पर लगता था.



आज से करीब 5000 से 7000 साल पहले सूअरों को पालतू जानवर बनाया गया था.अंटार्कटिक को छोड़कर सूअर बाकी सभी महाद्वीपों पर पाए जाते है.सूअर एक दिन में 50 लीटर  पानी  पी सकते है.सूअर के 44 दांत होते है.सभी सूअरों की पूँछ घुंघराली नही होती.इंसानों की तरह, सूअर भी omnivores हैं, अर्थात वे पोधौऔर जानवर  दोनों को खाते हैं. लेकिन कभी-कभी गंदगी भी खा जाते है.

 एक बार जब चाइना  के वैज्ञानिकों ने सूअर और जेलिफ़िश का सेक्स करवाया तो एक ऐसे सूअर के बच्चे का जन्म हुआ जिसकी जीभ UV light में हरे रंग की चमकती है.

 कुरआन में कम से कम चार जगहों पर सूअर के मांस के प्रयोग को हराम और निषेध ठहराया गया है।

दुनिया में आधे से ज्यादा सूअर चीन में पाए जाते हैं। यहीं से सूअरों के खेलों की शुरुआत हुई। 2005 में चीन में ‘पिग ओलंपिक्स’ का आरंभ हुआ। इसमें पिग रेसिंग, पिग स्विमिंग और पिग सॉकर जैसे खेलों की शुरुआत हुई। 2006 में यह ओलंपिक मास्को और आखिरी 2009 में सेंट लुइस में हुआ था।



सूअर के पैर पर 4 ऊंगलियाँ होती है लेकिन ये सिर्फ 2 पर ही चलते है.

चीनी राशि के 12 जानवरों में से सूअर आखिरी है. चीनी राशि के अनुसार सूअर भाग्य, ईमानदारी और पागलपन को दर्शाता है.

सबसे कम सूअर ‘अफगानिस्तान‘ देश में है, सिर्फ एक सूअर.. जिसका नाम है “Khanzir” जिसे यहाँ की राजधानी ‘काबुल‘ के चिड़ियाघर में रखा गया है.

सबसे आम सूअरों में से एकजिस ग्रह को अक्सर खाया जाता है वो वियतनामी सुअर है। इसका वजन 80 किलोग्राम तक पहुंच सकता है, हालांकि यह सभी मेद के प्रकार पर निर्भर करता है। ऐसी सुअर की घनत्व 500 ग्राम से अधिक नहीं है कुछ वयस्क व्यक्ति 140 किग्रा तक पहुंचते हैं, हालांकि यह केवल रानियों के बीच इकाइयों पर लागू होता है।

बड़े घरेलू सूअर स्वीडिश लैंड्रेस हैं, जिसका वजन 300 किलोग्राम तक सूअरों तक पहुंच सकता है, और गर्भाशय में सौ से अधिक हो सकता है।

द्रव्यमान के सेट का रिकॉर्ड ड्यूरोक नस्ल के सूअर हैं। वे इस तथ्य के लिए प्रसिद्ध हैं कि एक दिन से वे लगभग 1 किलो वजन पा सकते हैं। ड्यूरियन सुअर के वयस्क सूअर का वजन लगभग 400 किलोग्राम है।

सबसे बड़ा अमेरिकी सूअर हैं,जो 1000 किलो वजन तक पहुंच सकता है। हालांकि, कुछ ऐसे लोग हैं जो अमेरिका के बाहर रिकार्ड धारक भी बनते हैं, उदाहरण के लिए, चीन में, चुंग-चून नाम की एक डुबकी 900 किलो वजन पर पहुंचने में सफल रही।
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Wednesday, 18 April 2018

पाद के बारे में अजब गजब बाते

हम सब पाद मारते है. कुछ लोग सोचते है महिलाएँ तो पाद ही नही मारती.. अरे भाई! मारती है तुम्हारें बराबर मारती है। वो अलग बात है इनमें पाद रोकने की शक्ति थोड़ी ज्यादा होती है और हमें पता नही चलता। चलिए आज पाद के बारे में रोचक तथ्य जानते है..


 हालांकि मैं पाद-विशेषज्ञ तो नहीं फिर भी अपने अनुभव के हिसाब से कह सकता हूं, दुनिया में पादने से बेहतर दूसरा कोई सुख नहीं। पादकर संपूर्ण तृप्ति का एहसास मिलता है। महसूस होता है, पेट के डिब्बे में जो गैस कई मिनट या घंटों से परेशान कर रही थी- उसे मात्र एक पाद ने ध्वस्त कर दिया। तीव्र वेग से आया पाद पेट के साथ-साथ दिमाग को भी काफी हद तक सुकून देता है।

जब पाद बाॅडी में बनकर तैयार होता है तो उस समय इसका तापमान 98.6°F होता है।

पाद में आग लग सकती है यह ज्वलनशील होता है।

नहाते समय पाद में से ज्यादा बदबू इसलिए आती है क्योंकि हमारी नाक नमी में अच्छे से काम करती है।

पाद, 59% नाइट्रोज़न, 21% हाइड्रोज़न, 9% काॅर्बनडाई-ऑक्साइडस, 7% मिथेन, 3%  आक्सीजन और 1% बकवास चीजों से मिलकर बना होता है।

अजब गजब की महत्वपूर्ण जानकारी

पादने से आपका BP कंट्रोल में रहता है और ये आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

पाद रोकना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है क्योंकि कई बार ये गैस दिमाग में जाकर सिरदर्द का कारण बनती है. जो पाद रोक लिया जाता है वह नींद में पक्का निकलता है।

हालांकि मेरी पत्नी को मेरा यों पादते रहना पसंद नहीं। पाद पर ही कई दफा बात तलाक तक पहुंच चुकी है। पर क्या करूं, ससुरी आदत ऐसी पड़ गई है कि छुटने का नाम ही नहीं लेती। वैसे मैंने पत्नी को बोल रखा है- जब मैं पादा करूं अपनी नाक में रूमाल ठूंस लिया करो। मगर स्थितियां तब भी काबू में नहीं रह पातीं। फिर भी किसी तरह मना ही लेता हूं।

अब पत्नी क्या जाने पादने का सुख। मुझे पादने से इत्ता प्यार है कि दुनिया का हर सुख इसके आगे बौना लगता है। दावा कर सकता हूं, अगर पाद-प्रतियोगिता में भाग लेना पड़ा तो जीतूंगा मैं ही।

बहरहाल, पेट, दिमाग और विचार को अगर दुरुस्त रखना है तो प्यारे जमकर पादो। क्योंकि जीवन का असली सुख पादने में
 यदि आपको ऐसे चैम्बर में डाल दिया जाए जिसमें पूरे तरीके से आपका पाद भरा हो, तो भी आपकी दम घुटने से मौत नही होगी।

हवाई  यात्रा के समय लोग ज्यादा गैस (पाद) छोड़ते है इसलिए जहाजों में बदबू कम करने के लिए चारकोल फिल्टर का इस्तेमाल किया जाता हैं।

इंसान का मरने के 3 घंटे बाद तक भी पाद आ सकता है।

धरती पर मौजूद सभी इंसान एक साल में लगभग 17,000,000,000,000,000 पाद मारते है।

पाद और टट्टी के बीच अंतर बताने का काम आपके पिछवाड़े में मौजूद नर्व करती है. लेकिन कई बार यदि टट्टी बहुत पतली हो जाए तो ये नर्व कंफ्यूज हो जाती है और पाद के साथ  थोड़ी बहुत टट्टी भी निकल जाती है।

फ्लोरिडा में 13 साल के लड़के को स्कूल से बहुत अधिक पादने के कारण गिरफ्तार कर लिया था।

अंतरिक्ष मे जाने वाले यात्री पाद नही सकते, क्योंकि वहाँ पेट में द्रव्य से गैस को अलग करने के लिए गुरूत्वाकर्षण बल ही नही है


आपके पाद में से बदबू आने का कारण उसमें मौजूद 1% से भी कम Hydrogen Sulfide होता है।

यदि कोई इंसान 6 साल 9 महीने तक लगातार पाद मारें तो atom bomb  जितनी एनर्जीं प्रोड्यूस कर सकता है।

चिम्पेंजी इतनी जोर से लगातार पादते है कि वैज्ञानिक इनके पाद को फाॅलो करके इन्हे जंगल में ढूंढ लेते है।

एक स्वस्थ इंसान पाद मारता है। अगर जो कोई इंसान पाद नहीं मारता है तो आप सोच लो की वो इंसान पूर्ण रूप से स्वस्थ नहीं है। पाद पुरुष हो या महिला दोनों ही मारती है। हालाँकि, उनके पाद मारने की स्टायल अलग हो सकती है। पाद और टट्टी के बीच अंतर बताने का काम आपके पिछवाड़े में मौजूद नर्व करती है। लकिन ये कई बार गलत भी बता देती है।

इस दुनिया में सभी लोग पाद मारते है। कुछ लोगो का कहना है की महिलाएँ पाद ही नही मारती। ऐसा कुछ भी नहीं है। महिलाए भी पुरुषो के बराबर पाद मारती है। हालाँकि महिलाओ में थोड़ी शक्ति होती है जिससे वो पाद रोकने में कामयाब हो जाती है

पादों के पांच प्रकार होते हैं:-

1- पादों का राजा है “भोंपू” हमारे पूर्वज इसे उत्तम पादम् कहते थे।यह घोषणात्मक और मर्दानगी भरा होता है।इसमें आवाज मे धमक ज्यादा और बदबू कम होती है।अतएव
जितनी जोर आवाज उतना कम बदबू

2- ‘शहनाई’ – हमारे पूर्वजो ने इसे मध्यमा ही कहा है। इसमें से आवाज निकलती है ठें ठें या कहें पूंऊऊऊऊऊ

3- ‘खुरचनी’ – जिसकी आवाज पुराने कागज के सरसराहट जैसी होती है। यह एक बार में नई निकलती है। यह एक के बाद एक कई ‘पिर्र..पिर्र..पिर्र..पिर्र’ की आवाज के साथ आता है।
यह ज्यादा गरिष्ठ खाने से होता है।

4- ‘तबला’ – तबला अपनी उद्घोषणा केवल एक फट के आवाज के साथ करता है।।तबला एक खुदमुख्तार पाद है क्योंकि यह अपने मालिक के इजाजत के बगैर ही निकल जाता है। अगर बेचारा लोगों के बीच बैठा हो तो शर्म से पानी-पानी हो जाता है।

5- ‘फुस्कीं’ – यह एक निःशब्द ‘बदबू बम ‘ है। चूँकि इसमें आवाज नई होती है इसलिए ये पास बैठे व्यक्ति को बदबू का गुप्त दान देने के लिए बढ़िया है और दान देने वाला अपने नाक को बंद कर के मैने नई पादा है का दिखावा बङे आसानी से कर सकता है । लेकिन गुप्त दान देने के बाद जापानी कहावत “जो बोला , सो पादा” याद रखते हुए लोगों को खुद ही दाता को ताङने दीजिए । आप मत बोलिए।

अब पाद की श्रेणी निर्धारित करते हुए पाद का आनन्द उठाइये।


 आपके पिछवाड़े से पाद निकलने की स्पीड 10ft/sec होती है. यह केक पर लगी मोमबत्ती आसानी से बुझा सकता है।

 ऐसी दवाईयाँ भी आती है जिसे खाने पर आपके पाद में से गुलाब और चॉकलेट जैसी खूशबू आएगी। ex  like: father christmas.

जो पाद अधिक मात्रा में nitrogen और co2 से मिलकर बने होते है उनमें से बदबू नही आती लेकिन ये आवाज बहुत ज्यादा करते है। पादते समय आप पिछवाड़े को जितना ज्यादा टाईट करोगे उतनी ज्यादा आवाज आएगी।

इंसान को सबसे ज्यादा पाद फलियां (beans) खाने के बाद आते है।

 ब्लू व्हेल के पादने पर जो बुलबुला बनता है वह इतना बडा होता है कि उसमें एक घोडा आ सकता है।

प्र्थवी पर मौजूद सभी जीव में सबसे ज्यादा पाद दीमक मारता है। यह गाय से भी ज्यादा मिथेन छोड़ता है।

मध्य युग में लोग पाद को जार में बंद करके सूंघते थे. उनके द्वारा ऐसे मानना था कि ऐसा करने से मौत से बचा जा सकता है।

कुतो के अंदर इतनी क्षमता होती है कि ये खुद का पाद भी देख सकते है।

एक आम इंसान दिन में लगभग 14 बार पादता है और अपनी पूरी जिंदगी में लगभग 402,000 बार.



मुझे नहीं मालूम मेडिकल साइंस में पाद या पादने पर कभी कोई रिसर्च हुई है कि नहीं। पर हां इत्ता दावे के साथ कह सकता हूं कि यह विषय है बेहद शोध-युक्त। ज्यादा कुछ नहीं तो कम से कम इस बात पर तो रिसर्च होनी ही चाहिए कि इंसान दिन भर में कित्ता और कित्ते किलो पाद लेता है। (यहां पाद को- बतौर किलो- इसलिए लिखा क्योंकि पाद एक तरह से गैस ही होती है)। या फिर किन-किन स्थितियों-परिस्थितियों में पाद सबसे अधिक आते हैं। खुशी के पाद कैसे होतें, गम के पाद कैसे होते हैं, असंतोष के पाद कैसे होते हैं, अराजकता के पाद कैसे होते हैं, आंदोलन के पाद कैसे होते हैं, विमर्श या लेखन के पाद कैसे होते हैं, उत्तेजना के पाद कैसे होते हैं। आखिर मालूम तो चले कि पादने का मनुष्य के जीवन में कित्ता और कैसा महत्त्व है।

औरों के बारे में तो नहीं किंतु अपने बारे में कह सकता हूं कि मैं दिनभर में पांच-सात बार आराम से पाद लेता हूं। मुझको सबसे अधिक पाद व्यंग्य लिखते हुए आते हैं। व्यंग्य लिखते वक्त आ रहे पादों को मैं रोकता नहीं बल्कि खुलकर आने देता हूं। उस दौरान पाद जित्ता लंबा और तगड़ा आता है, व्यंग्य उत्ता ही उम्दा बनता है। इसे मैंने अब अपना टोटका-सा बना लिया है। जब भी व्यंग्य लिखने बैठता हूं- पादता अवश्य हूं। पाद के रास्ते मेरे पेट का सारा कचरा बाहर निकल जाता है। फिर मैं कहीं अच्छा लिख पाता हूं।

मुझे तेज-तर्रार पादने वाले अधिक पसंद हैं। उनके पादे की आवाज में एक अजीब तरह की गूंज होती है। गूंज की महक फिजा में कुछ देर तलक यों बनी रहती है- मानो किसी ने मदमस्त गंध वाला डियो छिड़का हो। धीमा पादने वाले अपने जीवन में भी बेहद धीमे होते हैं। पता नहीं तेज पादने में उन्हें क्या तकलीफ होती है। कई-कई तो इत्ते सियाने होते हैं कि अपने पाद को बीच में ही रोक लेते हैं। बेचारा पाद मन मसोस कर रह जाता है पेट के भीतर। गाली देता होगा कि साला कित्ता कंजूस है- मुझे बाहर भी नहीं निकलने देता। धीमा पाद सुस्त व्यक्तित्व की निशानी है।

पाद एक ऐसी चीज है- जिसे पास करने में न पैसे लगते हैं न अतिरिक्त भार सहना पड़ता है। बस जरा-सा अपने पिछवाड़े को कष्ट देना होता है। लेकिन इंसान इसमें भी सियानापन दिखला जाता है। यों, जीवन में तमाम तरह के कष्ट-तकलीफें झेल लेगा लेकिन पादने की बारी जब आएगी तो पिछवाड़े उठाके ही नहीं देगा। कैसे-कैसे लोग होते हैं दुनिया में। मतलब, फ्री का सुकून लेने में भी उनकी नानी मरती है।

मुझे याद है, एक दफा खुशवंत सिंह ने पाद पर बड़ा ही रोचक प्रसंग लिखा था अपने स्तंभ में। मित्र के साथ एक रात अपने कमरे में बीताने पर उन्हें पाद का जो अनुभव हासिल हुआ था- वही दर्ज था। साथ ही, यह भी लिखा था- दुनिया में सबसे खराब अमेरिकनस ही पादते हैं। उनके पाद बेहद बदबूदार और नापाक होते हैं। पाद ऐसा होना चाहिए जिसमें आवाज के साथ-साथ कुछ महक भी हो।

खैर, मैं इस बात का खास ध्यान रखता हूं कि चाहे अपने बिस्तर पर किसी भी तरह का पाद लूं मगर पब्लिस प्लेस में हमेशा महकदार ही पादूं। अधिक जोर से नहीं शालीनता के साथ पादूं। अमूमन, धड़ाम-बड़ाम वाले पादों से बचता हूं। मगर हां जब घर में या फिर व्यंग्य लिख रहा होता हूं, तो खूब मस्त और तरह-तरह की आवाजों के साथ पादता हूं। 

Sunday, 15 April 2018

अजब गजब रोचक बातें

हर कोई जल्दी में है लेकिन समय पर कोई पहुंचता नही। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई थक जाता है। आज हम आपको ऐसे अजब ग़ज़ब टिप्स बताएंगे, जिन्हें आजमाकर आपको तुरंत आराम मिलेगा

यदि आपको रात में नींद नहीं आती, तो अपनी पलकें एक मिनट तक जोर-जोर से झपकाएँ कुछ ही देर में नींद आ जाएगी।

सुबह उठकर यदि आपको रात की बात याद नहीं रहती, तो उस बात को रात में सोने से पहले एक बार दोहराएँ. वह बात सुबह आपको जरूर याद रहेगी।

आपके मोजो में से बदबू आ रही है? उन्हें एक रात फ्रिजर में रख दीजिए। ठंडक से बैक्टीरिया मर जाएंगे और बदबू आना बंद हो जाएगी।

गर्म पानी से नहाने के बाद, थोड़ा सा ठंडा पानी शरीर पर डालने से शरीर कई तरह की बीमारियों से दूर रहता है।

यदि मच्छर के काटने के बाद उस जगह पर ख़ुजली हो रही है, तो उस जगह पर डियो लगा लीजिए, ख़ुजली तुरंत बंद हो जाएगी।

 यदि आपको बे-वक्त नींद आ रही है, जैसे बस में या क्लास में आदि. तो अपनी सांस को तब तक रखिए जब तक आप रोक सकते हैं. फिर सांस छोड़ दे. इस से नींद एकदम से गायब हो जाएगी।

पेशाब के बारे में रोचक बात

 अगर हंसी नहीं रुक रही, तो ख़ुद को ज़ोर से चूंटी काट लीजिए. हंसना बंद हो जाएगा।

 टेंशन और सिरदर्द से छुटकारा पाने के लिए जमीन पर लेट कर पैरों को ऊपर करके दीवार पर लगा ले. इससे काफी फायदा होगा।

अंगूर का जूस आपका मानसिक तनाव दूर कर सकता है।

 बच्चों की नज़र तेज करने के लिए उनके बेड की दिशा बदलते रहें, इससे उसका एंगल बदल जाएगा, और नजर में सुधार होगा. इसे आप भी कर सकते हैं।
प्याज काटते वक्त हमारी आँख में आसू साइन-प्रोपेंथियल-एस-ऑक्साइड की वजह से आते है लेकिन क्या आप जानते है अगर प्याज काटते वक्त च्विंग-गम (chewing gum) चबाई जाये तो आँखों में आसू बिलकुल नही आते.


दिन भर की थकान के बाद यदि आपको आराम चाहिए, तो एक ठंडे पानी की बोतल को अपने पैरों के नीचे रख कर आगे-पीछे करें. जल्द ही आपके पैरों की थकान दूर होगी



आप बैटरी को 6 इंच की हाईट से गिरा कर देखिए। बैटरी अगर एक बार उछलती है तब यह ठीक हालत में है। अगर ज्यादा बार उछलती है तो यह खराब हो चुकी है या खराब होने वाली ह

आजकल हर छोटी-छोटी बात पर डॉक्टर एक्स-रे करवाने लग गए हैं. क्या आप जानते हैं कि एक्स-रे करवाने के दौरान निकली घातक रेडियोएक्टिव किरणें कैंसर पैदा करती हैं. एक मामूली एक्स-रे करवाने में शरीर को हुई हानि की भरपाई करने में कम से कम एक वर्ष का समय लगता हैं।

शहद एक ऐसी खाने की चीजो में से एक है जो कभी खराब नहीं होती. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की जब इतिहासकारों ने हजारो साल पुराने मिस्त्र के पिरामिडो से मिला शहद चखा तो वह खाने लायक अवस्था में था.

एक रिसर्च के मुताबिक, हमारा दाहिना कान बातों और शब्दों को बेहतर सुन सकता है जबकि बाएं कान से संगीत बेहतर सुना जा सकता है।

किसी रेस्टोरेंट में ऑर्डर देने के बाद अपने हाथ धोएं। मेन्यू कार्ड वहां आपके द्वारा छुई गई सभी चीजों में से सबसे ज्यादा गंदा होता है।

अगर आपको कभी तेज पेशाब लगी हो और आस-पास टॉयलेट ना हो, तो सेक्स के बारे में सोचिए. इससे कुछ देर तक पेशाब लगनी बंद हो जाएगी।

 मैथ्स करते समय चॉकलेट खाने से आपकी मैथ्स हल करने की योग्यता बढ़ जाती है।

यदि आपको चक्कर आ रहे हैं, तो बिस्तर पर लेट कर एक पैर जमीन पर रखिए. चक्कर आने बंद हो जाएंगे।

 यदि माइग्रेन का दर्द नहीं जा रहा, तो अपने हाथों को बर्फ़ के ठंडे पानी में डालिए, दर्द काफ़ी हद तक खत्म हो जाएगा।

Saturday, 14 April 2018

पेशाब के बारे में रोचक बात

नमस्ते दोस्तो
हमारे शरीर को जो नही चाहिए उसे निकालने का एक बेहतर तरीका है पेशाब. क्या आप बता सकते है कि गर्भवती महिला को बार बार पेशाब क्यों आता है, या फिर पेशाब में जलन का इलाज जानते हो ? नही ना.. तो चलिए आज जान लेते है.
जापान के डॉक्टरों का कहना है कि जिन्हें रात में जागकर बार-बार पेशाब के लिए उठना पड़ता है, उन्हें अपने खाने में नमक की मात्रा में कमी करनी चाहिए.

  

 हमारी मूत्र इकट्ठा करने वाली थैली, केवल 2.5 कप यानि 400 से 600 mL पेशाब स्टोर कर सकती है. जबकिहाथी की थैली 50 लीटर तक कर सकती है।

एक औसतन इंसान दिन में 7 बार पेशाब करने जाता है और लगभग 6.3 कप पेशाब करता है यह आपकी diet पर निर्भर है।

 शरीर से पेशाब “Urethra” नाम की tube से होकर बाहर निकलता है. महिलाओं में इस ट्यूब की लंबाई मात्र 1.2 से 1.6 इंच, जबकि पुरूषों में इसकी लंबाई 8 इंच तक होती है।

 यदि आप सपने में कही पर पेशाब कर रहे हो तो इस बात के बहुत ज्यादा चांस है कि आप बिस्तर पर ही पेशाब कर दोगे।

 पेशाब में लगभग 3000 घटक होते है- इसमें 95%पानी, 2.5% यूरिया और 2.5% नमक, हार्मोन्स और कुछ पोषक तत्वों का मिश्रण होता है।

 पूरे जीवनकाल में आपकी किडनी करीब 10 लाख गैलेन (37 lac litre) पानी को पेशाब में बदल देती है यह छोटी झील के बराबर है।

यदि आप कभी भी पानी के बिना रेगिस्तान में खो जाते हो तो अपना पेशाब मत पीना.. क्योंकि इसमें इतना नमकहोता है कि यह आपकी प्यास बुझाने की बजाय आपकेशरीर में पानी की और कमी कर देगा. यही कारण है कि अमेरिकी आर्मी में सैनिकों को किसी भी स्थिति में पेशाब न पीने की कड़ी सलाह दी जाती है।

बिल्ली का पेशाब अंधेरे में भी चमकता है क्योंकि इसमें ‘phosphorus‘ मौजूद होता है जो ‘oxygen‘ के संपर्क में आते ही चमकने लगता है।

बार बार पेशाब की समस्या को नौक्चुरिया कहा जाता है. इससे लोग 60 की उम्र के बाद प्रभावित होते हैं. इससे पीड़ित लोगों की नींद ख़राब होती है और लोगों का जीवन पर भी प्रभाव पड़ता  है.

यह स्टडी 300 से ज़्यादा लोगों पर की गई है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन्होंने नमक की मात्रा में कमी की उन्हें रात में बार बार पेशाब करने की समस्या से भी निजात मिल गई. ब्रिटेन के डॉक्टरों का भी कहना है कि सही आहार से इस समस्या के लक्षण को कम किया जा सकता है.नागासाकी यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों ने अपने इस शोध  के नतीजे को लंदन के यूरोपियन सोसायटी ऑफ यूरोलॉजी कांग्रेस में प्रस्तुत किया

 दवा बनाने में भी पेशाब का इस्तेमाल किया जाता हैजैसे:- Urokinese दवा, जो हार्ट अटैक के समय खून के थक्के जमने से रोकने में मदद करती है।

 एक जवान आदमी 1 साल में पेशाब के जरिए इतनी हाॅइड्रोज़न पैदा कर देता है, जो एक कार को 2698km चलाने के लिए काफी है।



अंटार्कटिका के ग्लेशियरों में जमे हुए कुल बर्फ का 3% भाग पेंगुइनो का पेशाब है।

 एक ही समय पर खून देना और पेशाब करना असंभव है।

 नासा ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो अंतरिक्ष यात्रियों के पेशाब को पीने के पानी योग्य बनाती है और यह पानी अमेरिका के नल पानी से भी शुद्ध होता है।

 ये बात सच है, कि पेशाब में बैक्टीरिया नही होते लेकिन केवल तब तक जब तक ये ब्लैडर में रहता है. जैसे ही मूत्रमार्ग या हवा के संपर्क में आता है इसमें बैक्टीरिया समा जाते है।

 हमारे शरीर के अंदरूनी तापमान की वजह से हमारा पेशाब गर्म होता है और सर्दियों में तो इससे भाँप भी निकलने लगती है।

 पेशाब में जलन का इलाज: पतली छाछ (लस्सी) में चुटकी भर सोडा डालकर पीने से पेशाब में जलन दूर होती है।

 खड़े होकर पेशाब करने से पुरूषों का सेक्स टाईम कम हो जाता है बल्कि जो लोग बैठ कर पेशाब करते है उनका सेक्स टाईम ज्यादा होता है. क्योंकि खड़े होकर पेशाब करने से मूत्राशय सही से खाली नही हो पाता और ऐसा बार-बार होने से ‘prostrate gland‘ खराब होने लगती है।

 यदि हँसते, छींकतें और व्यायाम करते समय थोड़ा पेशाब निकल जाए तो उसे “Stress urinary incontinence” कहा जाता है।

 गर्भवती महिला को बार-बार पेशाब आता है क्योंकि जैसे ही भ्रूण बड़ा होता है वो ब्लैडर के साइज को कम कर देता है जिससे उसमें कम पेशाब स्टोर हो पाता है।

 महिलाओं को सेक्स के बाद पेशाब कर लेना चाहिए, क्योंकि महिलाओं की योनि में पहले से ही बैक्टीरिया मौजूद होते है जो सेक्स के दौरान मूत्रमार्ग(Urethra tube) के जरिए ब्लैडर(पेशाब की थैली) तक चले जाते है जिससे इंफेक्शन होने का खत्तरा रहता है।



 करीब 200 साल पहले, यूरोपियन महिलाएँ खड़े होकर पेशाब करती थी क्योंकि वे लंबे कपड़े पहनती थी और इसके नीचे कोई जांघिया वगैरह नही होता था।

 कनाडा में हर साल करीब 225 आदमी नाव पर खड़े होकर पेशाब करने के चक्कर में पैर फिसलकर गिर जाते है और डूब जाते है।

 प्राचीन रोम के जासूस दस्तावेजों के बीच में रहस्यों को लिखने के लिए पेशाब को अदृश्य स्याही के रूप में इस्तेमाल करते थे. ये मैसेज तभी देखते थे जब इन्हें गर्म किया जाता था।

 भालू जब शीतनिंद्रा में होते है तो कभी पेशाब नही करते, फिर चाहें ये 6 महीने लंबी ही क्यों न हो. शीतनिंद्रा के समय भालू का शरीर पेशाब को प्रोटीन में बदलकरभोजन के रूप में इस्तेमाल कर लेता है।

 लड़ाकू विमान के पायलेट पेशाब करने के लिए एक बैग जैसा कुछ पहनते है जिसे “piddle-pack” कहा जाता है।

 साँपो में पेशाब इकट्ठा करने वाली थैली नही होती इसलिए इनका जैसे ही पेशाब बनता है तुरंत निकल जाता है।

 प्राचीन रोम के लोग पेशाब का इस्तेमाल दाँतो को साफ करने के लिए करते थे।

 1930 के दशक में, Penicillin इतना कीमती था, कि इसे मरीजों के पेशाब से भी निकाला जाता था।

 1950 के आसपास, महिला गर्भवती है या नही ये जानने के लिए चिकित्सक महिला की पेशाब को इंजेक्शन के माध्यम से मेंढ़क में डालते थे. यदि इंजेक्शन लगने के 24 घंटो के अंदर मेंढ़क अंडो का उत्पादन कर देता तो महिला को गर्भवती माना जाता था।
जाने राधे मां की खास बाते

 सबसे लंबे समय तक लगातार पेशाब करने का वर्ल्ड रिकाॅर्ड 508 seconds यानि 8.5 minute का है जबकि एक स्वस्थ मनुष्य केवल 7 seconds में पेशाब कर लेता है।



 सबसे लंबी दूरी तक पेशाब की धार मारने का रिकाॅर्ड ‘ऐरिजोना‘ के “Joey Wallace” के नाम है इनकी पेशाब की धार 14 फ़ीट 1 इंच दूर तक गई थी।

 फव्वारें के नीचे नहाते समय 45%(2 में से 1) और स्विमिंग पूल में नहाते समय करीब 20%(5 में से 1) लोग पेशाब कर देते है. स्विमिंग पूल में नहाते समय आंखोका लाल होना पेशाब और क्लोरिन के मिक्चर के कारण ही होता है।

 आपको जानकर हैरानी होगी कि पक्षियों में पेशाब और टट्टी निकालने के लिए केवल एक ही सुराग होता है. लेकिन ये पेशाब ठोस के रूप में करते है. मुर्गे, कबूत्तर वगैरह की लैटरिंग को कभी ध्यान से देखिएगा आपको इसमें सफेद-सफेद सा कुछ दिखाई देगा और वो इनका पेशाब होता है।

 भारत के PM ‘Morarji Desai‘ ने एक बार खुद का पेशाब पीया था।

 2nd World War के दौरान क्लोरिन गैस से बचने के लिए सैनिकों को पेशाब से भीगा हुआ कपड़ा मुँह पर बांधने की सलाह दी जाती थी।

 ‘स्वीडन‘ देश में जल्द ही एक कानून बनेगा जिसके अनुसार पब्लिक टाॅयलेट में पुरूषों को हमेशा बैठ कर पेशाब करना होगा।

 बहुत से लोगों में “Shy Bladder Syndrome” होता है, जिससे इन्हें खुले में पेशाब करने में शर्म महसूस होती है और कई बार तो ये खुले में पेशाब कर ही नही पाते, इन्हें लगता है कोई हमें देख रहा है. विज्ञान की भाषा में इस डर को “Paruresis” कहा जाता है।

 ‘Phosphorus‘ की खोज पेशाब के गर्म करने पर हुई थी. दरअसल सन् 1669 में जर्मनी के ‘Hennig brand‘ नेसोना निकालने के लिए 60 बाल्टी पेशाब को गर्म किया था उनका मानना था कि पेशाब पीला होता है इसलिए इसमें कीमती धातु हो सकती है. लेकिन जब इसे गर्म किया गया तो आखिर में एक ऐसी चीज बची जो अंधेरे में चमकती थी और इसे फाॅस्फोरस नाम दिया गया।

 पुरूषों के शरीर से कभी भी वीर्य और पेशाब एक साथ नही निकल सकते. क्योंकि वीर्य छोड़ते समय एक मांसपेशी के सिकुड़ने की वजह से पेशाब वाली थैली का रास्ता बंद हो जाता है और ये वीर्य छोड़ने के कुछ समय बाद तक भी बंद ही रहता है. कभी सेक्स या हस्तमैथुन करके तुरंत पेशाब करने की ट्राई किजिएगा, सब पता चल जाएगा. यही कारण है कि लिंग से पेशाब और स्पर्म एक समय पर नही निकल सकते. लेकिन अगर पेशाब करने से पहले थोड़ी उत्तेजना हो जाए तो पेशाब के साथ पानी जैसा सफेद liquid भी पेनिस से गिरता है.. दरअसल, यह वीर्य नही बल्कि इसे ‘pre-cum‘ कहा जाता है. इसमें मरे हुए शुक्राणु होते है और इससे महिला गर्भवती भी नही हो सकती।

 ये बात अपने दिमाग से निकाल दे, कि लड़कियाँ अपनी योनि से पेशाब करती है बल्कि इनकी योनि में दो सुराग होते है एक पेशाब करने के लिए और दूसरा केवल सेक्स करने के लिए. पेशाब करने वाला सुराग सेक्स करने वाले से थोड़ा ऊपर होता है।


Friday, 13 April 2018

बाबासाहेब की जीवनी और उनके विचार

भारत के संविधान निर्माता, चिंतक, समाज सुधारक बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के मऊ में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था. उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था. वे अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे.

जानिए बाबा साहेब अंबेडकर की खास 10बातें
1. बाबा साहेब अंबेडकर का परिवार महार जाति से संबंध रखता था, जिसे अछूत माना जाता था. बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले अंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की.

2. बाल विवाह प्रचलित होने के कारण 1906 में उनकी शादी नौ साल की लड़की रमाबाई से हुई.

3. 1908 में उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में प्रवेश लिया. इस कॉलेज में प्रवेश लेने वाले वे पहले दलित जाति के बच्चे थे.

4. 1913 में एमए करने के लिए वे अमेरिका चले गए. अमेरिका में पढ़ाई करना बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक वजीफा मिलने के कारण संभव हो सका था.

5. 1921 में लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से उन्हें एमए की डिग्री मिली.

6. 1925 में बाबा साहेब को बॉम्बे प्रेसिडेंसी समिति ने साइमन आयोग में काम करने के लिए नियुक्त किया. इस आयोग का विरोध पूरे भारत में किया गया था.

7. अंबेडकर दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए 'बहिष्कृत भारत', 'मूक नायक', 'जनता' नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने शुरू किये.

8. भारत की आजादी के बाद उन्हें कानून मंत्री बनाया गया. 29 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र भारत के संविधान रचना के लिए संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया.

मनुस्मृति का इतिहास

9. 1951 में संसद में अपने हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी.

10. 14 अक्टूबर 1956 को अंबेडकर और उनके समर्थकों ने पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया. अंबेडकर का मानना था कि हिंदू धर्म के अंदर दलितों को कभी भी उनका अधिकार नहीं मिल सकता है. 6 दिसंबर, 1956 को अंबेडकर की मृत्यु हो गई.
भारत के लोगों के लिये डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस और उनके योगदान को याद करने के लिये 14 अप्रैल को एक उत्सव से कहीं ज्यादा उत्साह के साथ लोगों के द्वारा अंबेडकर जयंती को मनाया जाता है। उनके स्मरणों को श्रद्धांजलि देने के लिये वर्ष 2018 में ये उनका 127 वाँ जन्मदिवस उत्सव होगा। ये भारत के लोगों के लिये एक बड़ा क्षण था जब वर्ष 1891 में उनका जन्म हुआ था।

इस दिन को पूरे भारत वर्ष में सार्वजनिक अवकाश के रुप में घोषित किया गया। नयी दिल्ली, संसद में उनकी मूर्ति पर हर वर्ष भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री (दूसरे राजनैतिक पार्टियों के नेताओं सहित) द्वारा सदा की तरह एक सम्माननीय श्रद्धांजलि दिया गया। अपने घर में उनकी मूर्ति रखने के द्वारा भारतीय लोग एक भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उनकी मूर्ति को सामने रख लोग परेड करते हैं, वो लोग ढोल बजाकर नृत्य का भी आनन्द लेते हैं।

अंबेडकर के द्वारा कहा गया कथन

“प्रगति की मात्रा के द्वारा ही एक समुदाय की प्रगति को मैं मापता हूँ जिसे महिलाओं ने प्राप्त किया है”।“ज्ञान एक पुरुष के जीवन की जड़ है”।“सामाजिक नीतिशास्त्र पर आधारित सामाजिक आदर्शों के द्वारा लोग और उनके धर्म को आँकना चाहिये। किसी भी दूसरे आदर्श का कोई मतलब नहीं होगा अगर लोगों के भले के लिये जरुरी अच्छाई धर्म आयोजित होता है”।“हर पुरुष जो चक्की के सिद्धांत को दोहराता है जैसे एक देश किसी दूसरे देश पर राज्य करने के लिये उपयुक्त नहीं होता को मानना चाहिये कि किसी दूसरे वर्ग पर राज्य करने के लिये एक वर्ग उपयुक्त नहीं होता”।“लंबे होने के बजाय जीवन अच्छा होना चाहियें”।“दिमाग की खेती मानव अस्तित्व का सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य होनी चाहिये”।“मानव नश्वर होता है। वैसे ही विचार होते हैं। एक विचार को फैलाव की जरुरत होती है जिस तरह एक पौधे को पानी की जरुरत होती है। नहीं तो दोनों मुरझा और मर जायेंगे”।“कोई एक जिसका दिमाग मुक्त नहीं यद्यपि जीवित है, मरने से बेहतर नहीं है”।“बुद्ध की सीख शाश्वत है, लेकिन उसके बाद भी बुद्ध उसको अचूक घोषित नहीं करते हैं”।“जैसे पानी की एक बूँद महासागर में मिलते ही अपनी पहचान खो देती है, व्यक्ति समाज में अपने होने का अस्तित्व नहीं खोता है जिसमें वो रहता है। व्यक्ति का जीवन स्वतंत्र होता है। वो अकेले समाज का विकास करने के लिये पैदा नहीं हुआ है, बल्कि अपने विकास के लिये हुआ है”।“किसी एक के अस्तित्व का प्रमाण है दिमाग की स्वतंत्रता”।“दिमाग की वास्तविकता वास्तविक स्वतंत्रता है”।“मैं धर्म को पसंद करता हूँ जो आजादी, समता और भाईचारा सिखाता है”।“इंसानों के लिये धर्म है ना कि धर्म के लिये इंसान”।“धर्म मुख्यत: केवल एक सिद्धांत की विषयवस्तु है। ये नियम का मामला नहीं है। जिस पल ये नियमों से बिगड़ता है, एक धर्म होने के नाते ये समाप्त होता है, क्योंकि ये जिम्मेदारियों को मारता है जो सच्चे धार्मिक कानून का एक सार है”।“व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिये एक वातावरण बनाना धर्म का बुनियादी विचार है”।“अगर आप ध्यान से पढ़ेंगे, आप देखेंगे कि बौद्ध धर्म कारणों पर आधारित है। इसमें जन्मजात लचीलेपन का तत्व है, जो किसी दूसरे धर्म में नहीं पाया जाता है”।“एक प्रसिद्ध व्यक्ति से अलग होता है एक महान आदमी जो समाज का नौकर बनने के लिये तैयार होता है”।“हिन्दू धर्म में, विकास के लिये जमीर, कारण और स्वतंत्र विचार के पास को कोई अवसर नहीं है”।“पति और पत्नि के बीच का रिश्ता एक सबसे घनिष्ठ मित्र की तरह होनी चाहिये”।“इसांन के लिये किसी एक के पास कोई सम्मान या आदर नहीं हो सकता जो समाज सुधारक की जगह ले और उसके बाद उस पदवी के तार्किक परिणाम को देखने से मना कर दे, उसे अकेले ही खराब काम का अनुसरण करने दें”।“एक कठोर वस्तु मिठाई नहीं बना सकता। किसी का भी स्वाद बदल सकता है। लेकिन जहर अमृत में नहीं बदल सकता”।“एक सफल क्रांति के लिये इतना ही काफी नहीं है कि वहाँ असंतोष हो। जो चाहिये वो गंभीर है और न्याय की आस्था के द्वारा, राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों की जरुरत और महत्व”।“माना कि लंबे समय तक आपने सामाजिक आजादी प्राप्त नहीं की, जो भी स्वतंत्रता आपको कानून के द्वारा आपको उपलब्ध करायी जा रही है उसका आपके लिये कोई लाभ नहीं है”।
मनुस्मृति क्यों जलाई गई पढें

14 अक्टूबर 1956 को आंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया था. वे देवताओं के संजाल को तोड़कर एक ऐसे मुक्त मनुष्य की कल्पना कर रहे थे जो धार्मिक तो हो लेकिन ग़ैर-बराबरी को जीवन मूल्य न माने.


यदि नई दुनिया पुरानी दुनिया से भिन्न है तो नई दुनिया को पुरानी दुनिया से अधिक धर्म की जरूरत है.’  डॉक्टर आंबेडकर ने यह बात 1950 में ‘बुद्ध और उनके धर्म का भविष्य’ नामक एक लेख में कही थी. वे कई बरस पहले से ही मन बना चुके थे कि वे उस धर्म में अपना प्राण नहीं त्यागेंगे जिस धर्म में उन्होंने अपनी पहली सांस ली है.

14 अक्टूबर 1956 को उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया. आज उनके इस निर्णय को याद करने का दिन है. यह उनका कोई आवेगपूर्ण निर्णय नहीं था, बल्कि इसके लिए उन्होंने पर्याप्त तैयारी की थी.

उन्होंने भारत की सभ्यतागत समीक्षा की. उसके सामाजिक-आर्थिक ढांचे की बनावट को विश्लेषित किया था और सबसे बढ़कर हिंदू धर्म को देखने का विवेक विकसित किया.

गेल ओमवेट ने आंबेडकर की एक जीवनी लिखी है. उसका नाम है – डॉक्टर आंबेडकर: प्रबुद्ध भारत की ओर. यह प्रबुद्धता आंबेडकर के सामाजिक-आर्थिक चिंतन में तो दिखती ही है, वे धर्म के बिना मनुष्य की कल्पना भी नही करते हैं.

मुंबई के मिल मजदूरों, झुग्गी बस्तियों, गरीब महिलाओं के बीच भाषण देते हुए आंबेडकर समझ रहे थे कि भारतीय मन धर्म के बिना रह नही सकता लेकिन क्या यह वही धर्म होगा जिसने उस जीवन का अनुमोदन किया था जिसके कारण दलितों को सदियों से संतप्त रहना पड़ा है. वे इस धर्म को त्याग देना चाहते थे.

Monday, 9 April 2018

भगवान् बुद्ध का जीवन और उनके विचार

माना जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध की ज्ञान की खोज उस समय शुरू हुई जब उन्होंने एक ही दिन में तीन दृश्य देखे. पहला- एक रोगी व्यक्ति, दूसरा- एक वृद्ध और तीसरा- एक शव. जीवन का यह रूप देखकर हर तरह की सुख सुविधा से संपन्न जीवन को छोड़कर राजकुमार सिद्धार्थ गौतम जंगल की ओर निकल पड़े थे ज्ञान और बोध की खोज में…


सुख और सुविधाओं से इसी विरक्ति ने उन्हें राजकुमार गौतम से भगवान बुद्ध बनने की राह पर अग्रसर किया. उन्होंने जीवन में ज्ञान प्राप्त किया और इसे सभी मनुष्यों में बांटा भी. पेश हैं भगवान बुद्ध के वह 12 वचन जो अपनाने से आपको जीवन में सफलता और शांति मिलेगी...
 किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है.स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है.घृणा, घृणा करने से कम नहीं होती, बल्कि प्रेम से घटती है, यही शाश्वत नियम है.    तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे.हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये.सभी गलत कार्य मन से ही उपजाते हैं. अगर मन परिवर्तित हो जाय तो क्या गलत कार्य रह सकता है.अतीत पर ध्यान केन्द्रित मत करो, भविष्य का सपना भी मत देखो, वर्तमान क्षण पर ध्यान केंद्रित करो.वह व्यक्ति जो 50 लोगों को प्यार करता है, 50 दुखों से घिरा होता है, जो किसी से भी प्यार नहीं करता है उसे कोई संकट नहीं है.क्रोधित रहना, किसी और पर फेंकने के इरादे से एक गर्म कोयला अपने हाथ में रखने की तरह है, जो तुम्हीं को जलती है.अपने शरीर को स्वस्थ रखना भी एक कर्तव्य है, अन्यथा आप अपनी मन और सोच को अच्छा और साफ़ नहीं रख पाएंगे.

गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले जब कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने नैहर देवदह जा रही थीं, तो रास्ते में लुम्बिनी वन में हुआ। 



> यह स्थान नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई नामक स्थान है, वहां आता है। जहां एक लुम्बिनी नाम का वन था। > उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया। उनके पिता का नाम शुद्धोदन था। जन्म के सात दिन बाद ही मां का देहांत हो गया। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया।

सिद्धार्थ ने गुरु विश्वामित्र के पास वेद और उपनिषद्‌ तो पढ़े ही, राजकाज और युद्ध-विद्या की भी शिक्षा ली। कुश्ती, घुड़दौड़, तीर-कमान, रथ हांकने में कोई उसकी बराबरी नहीं कर पाता।


भगवान बुद्ध ने आठ सालों तक एक भिक्षुक का जीवन जिया, जिसकी शुरुआत उन्होंने अपने महल से भाग कर की थी। लेकिन बुद्धत्व मिलने के बाद एक दिन वे अपने महल पहुंचे…



शायद ही दुनिया में ऐसा कोई इंसान होगा जिसने गौतम का नाम न सुना हो। ज्यादातर लोग उन्हें बुद्ध के नाम से जानते हैं। इस धरती पर कई बार आध्यात्म की एक बड़ी लहर सी आई है। बुद्ध खुद ऐसी ही एक आध्यात्मिक लहर रहे हैं। संभवत: वह धरती के सबसे कामयाब आध्यात्मिक गुरु थे – उनके जीवन काल में ही उनके साथ चालीस हजार बौद्ध भिक्षु थे और भिक्षुओं की यह सेना जगह-जगह जाकर आध्यात्मिक लहर पैदा करती थी।

यशोधरा ने बच्चे को उनके सामने रखा, बच्चा लगभग आठ साल का था। उन्होंने बच्चे को बुद्ध के सामने रखते हुए कहा, ‘इसके लिए आपकी क्या विरासत है? आप और आपकी आध्यात्मिक बकवास! आप इसे क्या देकर जाएंगे?

उन दिनों उन इलाकों में आध्यात्मिक प्रक्रिया सिर्फ संस्कृत में ही सिखाई जाती थी, और संस्कृत भाषा की सुविधा एक खास वर्ग को ही उपलब्ध थी। दूसरों के लिए यह भाषा सीखना वर्जित था, क्योंकि इस भाषा को ईश्वर के पास पहुंचने का जरिया माना जाता था। हर किसी की पहुंच वहां तक नहीं थी। बुद्ध ने पालि भाषा में अपनी शिक्षा रखी जो उस समय की बोलचाल की भाषा थी। इस तरह उन्होंने हर तरह के लोगों के लिए आध्यात्मिकता के दरवाजे खोल दिया। और फि र आध्यात्मिकता ने एक विशाल लहर का रूप ले लिया।

एक रात वह अपनी पत्नी- अपनी युवा पत्नी और नवजात शिशु को छोडक़र आधी रात को घर से निकल पड़े। वो एक राजा की तरह नहीं निकले, बल्कि एक चोर की तरह निकले थे- रात में घर छोडक़र गए थे। यह कोई आसान फैसला नहीं था। वह एक ऐसी पत्नी से दूर नहीं जा रहे थे, जिसे झेलना उनके लिए मुश्किल हो रहा हो। वह ऐसी स्त्री से दूर जा रहे थे, जिससे वह बहुत प्यार करते थे। वह नवजात बेटे से दूर जा रहे थे, जो उन्हें बहुत प्यारा था। वह अपनी शादी की कड़वाहट की वजह से नहीं भाग रहे थे। वह हर उस चीज से भाग रहे थे, जो उन्हें प्रिय थी। वह महल के ऐशो-आराम से, एक राज्य के राजकुमार होने से, भविष्य में राजा बनने की संभावना से, वह उन सभी चीजों से भाग रहे थे, जिन्हें हर आदमी आम तौर पर पाना चाहता है। लेकिन वे अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाले कोई कायर नहीं थे। यह एक इंसान के साहस और ज्ञान की तड़प का परिणाम था। उन्होंने अपना महल, अपनी पत्नी, अपना बच्चा, अपना सब कुछ त्याग दिया और ऐसी चीज की खोज में लग गए, जो अज्ञात थी।

गौतम एक राजा थे, मगर उन्होंने एक भिक्षुक का जीवन जिया। आज आप इस घटना का गुणगान कर सकते हैं क्योंकि वह मशहूर हो चुके हैं। मगर मैं चाहता हूं कि आप समझें कि जब वह एक भिक्षुक की तरह चल पड़े थे, तो सडक़ पर चलते आम लोगों ने बाकी भिक्षुकों की तरह ही उन्हें भी दुत्कारा था। उन्हें उन सभी चीजों से गुजरना पड़ा जो किसी भिक्षुक को अपने जीवन में झेलना पड़ता है। जबकि वह एक राजकुमार थे और उन्होंने जानबूझकर भिक्षुक बनने का फैसला किया था।

आठ सालों की खोज के बाद, जब उन्हें पूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ तो उन्हें अपना एक छोटा सा दायित्व याद आया जो उन्हें पूरा करना था। जब उन्होंने महल छोड़ा था, तो उनका पुत्र एक शिशु ही था। उनकी पत्नी एक युवती थी। वह रात को चोरों की तरह, बिना किसी को बताए वहां से चले आए थे। उनके पास उस हालात का सामना करने का साहस नहीं था या वह जानते थे कि इस पूरे हालात का सामना करने की कोशिश बेकार है, उसका वैसे भी कोई हल नहीं था। इसलिए वह रात के अंधेरे में चुपचाप घर छोडक़र चले गए। आठ साल बाद जब उन्हें पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो गया, वह बुद्ध हो गए… जब पुराने गौतम का कोई अस्तित्व नहीं बचा था, तो वह वापस आए, क्योंकि वह अपने इस छोटे से दायित्व को पूरा करना चाहते थे। वह अपनी पत्नी यशोधरा से मिलने आए, जो बहुत स्वाभिमानी स्त्री थीं।




यशोधरा को जैसे ही पता चला कि वह आने वाले हैं, वह गुस्से से पागल हो गईं। वह उन्हें किसी तरह बख्शना नहीं चाहती थीं। वह गुस्से से उबल पड़ीं और बोलीं, ‘आप एक चोर की तरह घर छोडक़र गए, आप तो एक मर्द भी नहीं हैं। आपके दिव्यता की खोज का सवाल कहां उठता है? आप एक शाही परिवार में जन्मे थे, आपके अंदर इतना साहस होना चाहिए था कि मेरा सामना करते और मुझसे लड़ते फि र अपनी मनमर्जी करते।

आठ सालों की खोज के बाद, जब उन्हें पूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ तो उन्हें अपना एक छोटा सा दायित्व याद आया जो उन्हें पूरा करना था। जब उन्होंने महल छोड़ा था, तो उनका पुत्र एक शिशु ही था।

आप तो एक चोर की तरह भाग गए और अब वापस आकर दावा कर रहे हैं कि आपको ज्ञान प्राप्त हो गया है, आप बुद्ध हैं। मुझे इस तरह के फ र्जी ज्ञान में कोई दिलचस्पी नहीं है।’ उन्होंने यशोधरा से कहा, ‘देखो, जिस आदमी को तुम जानती थी, उसका अब अस्तित्व नहीं है। मैं सिर्फ इस दायित्व के कारण यहां आया हूं, जिसे मैं पूरा करना चाहता हूं। मैं तुम्हारा पति नहीं हूं, न ही इस बच्चे का पिता। मेरा सब कुछ बदल चुका है। हां, मैं अब भी उसी शारीरिक रूप में हूं, मगर मेरे अंदर सब कुछ बदल चुका है।’

फिर जैसा कि इमोशनल ड्रामा के समय होता है… यशोधरा ने बच्चे को उनके सामने रखा, बच्चा लगभग आठ साल का था। उन्होंने बच्चे को बुद्ध के सामने रखते हुए कहा, ‘इसके लिए आपकी क्या विरासत है? आप और आपकी आध्यात्मिक बकवास! आप इसे क्या देकर जाएंगे? इस बच्चे के लिए आपकी धरोहर क्या है?’ उन्होंने लडक़े को देखा, फिर अपने शिष्य आनंद को बुलाया, जो वहीं मौजूद था। वह बोले, ‘आनंद, मेरा भिक्षा पात्र लाओ।’ आनंद गौतम का भिक्षा पात्र ले कर आए, जो कुछ खास नहीं एक मामूली सा कटोरा था। गौतम बोले, ‘मेरी विरासत यही है, यह सबसे बड़ी विरासत है जो मैं अपने बेटे को सौंप सकता हूं।’ और उन्होंने वह भिक्षा पात्र अपने बेटे को सौंप दिया।

भगवान बुद्ध की ज्ञान की खोज तब शुरू हुई जब उन्होंने एक ही दिन तीन दृश्य दिखे – एक रोगी मनुष्य, एक वृद्ध और एक शव को उन्होंने देखा। बस इतना देखना था कि राजकुमार सिद्धार्थ गौतम निकल पड़े ज्ञान और बोध की खोज में…


एक बार बुद्ध कहीं प्रवचन दे रहे थे। अपने प्रवचन ख़त्म करते हुए उन्होंने आखिर में कहा, जागो, समय हाथ से निकला जा रहा है। सभा विसर्जित होने के बाद उन्होंने अपने प्रिय शिष्य आनंद से कहा, चलो थोड़ी दूर घूम कर आते हैं। आनंद बुद्ध के साथ चल दिए।अभी वे विहार के मुख्य दरवाजे तक ही पहुंचे थे कि एक किनारे रुक कर खड़े हो गए।

प्रवचन सुनने आए लोग एक- एक कर बाहर निकल रहे थे। इसलिए भीड़ सी हो गई थी| अचानक उसमे से निकल कर एक स्त्री गौतम बुद्ध से मिलने आई।। उसने कहा तथागत मै नर्तकी हूं| आज नगर सेठ के घर मेरे नृत्य का कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन मै उसके बारे में भूल चुकी थी। आपने कहा, समय निकला जा रहा है तो मुझे तुरंत इस बात की याद आई। उसके बाद एक डकैत बुद्ध की ओर आया। उसने कहा, तथागत मै आपसे कोई बात छिपाऊंगा नहीं। मै भूल गया था कि आज मुझे एक जगह डाका डालने जाना था कि आज उपदेश सुनते ही मुझे अपनी योजना याद आ गई। बहुत बहुत धन्यवाद!

उसके जाने के बाद धीरे धीरे चलता हुआ एक बूढ़ा व्यक्ति बुद्ध के पास आया। वृद्ध ने कहा, जिन्दगी भर दुनियादारी की चीजों के पीछे भागता रहा। अब मौत का सामना करने का दिन नजदीक आता जा रहा है, तब मुझे लगता है कि सारी जिन्दगी यूं ही बेकार हो गई। आपकी बातों से आज मेरी आंखें खुल गईं। आज से मै अपने सारे दुनियारी मोह छोड़कर निर्वाण के लिए कोशिश करना चाहता हूं। जब सब लोग चले गए तो बुद्ध ने कहा, देखो आनंद! प्रवचन मैंने एक ही दिया, लेकिन उसका हार किसी ने अलग अलग मतलब निकाला। जिसकी जितनी झोली होती है, उतना ही दान वह समेत पाता है। निर्वाण प्राप्ति के लिए भी मन की झोली को उसके लायक होना होता है। इसके लिए मन का शुद्ध होना बहुत जरूरी है।



एक बार बुद्ध से उनके एक शिष्य ने पूछा, भगवन आपने आज तक यह नहीं बताया कि मृत्यु के बाद क्या होता है। उसकी बात सुनकर बुद्ध मुस्कुराए, फिर उन्होंने उससे पूछा, पहले मेरी एक बात का जबाव दो। अगर कोई कहीं जा रहा हो और अचानक कहीं से आकर उसके शरीर में एक जहर भरा तीर लग जाए तो उसे क्या करना चाहिए। पहले शरीर में घुसे तीर को हटाना ठीक रहेगा या फिर देखना कि बाण किधर से आया है और किसे लक्ष्य कर मारा गया है।

शिष्य ने कहा, पहले तो शरीर में घुसे तीर को तुरंत निकालना चाहिए,नहीं तो जहर पूरे शरीर में फ़ैल जाएगा। बुद्ध ने कहा, बिल्कुल ठीक कहा तुमने, अब यह बताओ कि पहले इस जीवन के दुखों के निवारण का उपाय किया जाए या मृत्यु की बाद की बातों के बारे में सोचा जाए।शिष्य अब समझ चुका था और उसकी जिज्ञासा शांत हो गई।

Friday, 6 April 2018

दलित आंदोलन से सकपकाई, केंद्र सरकार

दलित आंदोलन से सकपकाई, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. लेकिन लगता है सरकार देर से हरकत में आई. तब तक आंदोलन जोर पकड़ चुका था. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने खबरों के मुताबिक इस मामले में फौरन सुनवाई से मना कर दिया है. केंद्र ने ये सफाई भी दी है कि दलितों और अल्पसंख्यकों के आरक्षण के प्रावधान को हटाने का उसका कोई इरादा नहीं है. इस बीच उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में बंद के दौरान हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ हुई. धारा 144, कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाओं पर रोक की नौबत आ गई. चार लोगों के मारे जाने और दर्जनों के घायल होने की खबरें भी मीडिया में आई हैं. पंजाब, ओडीशा, दिल्ली, बिहार और झारखंड को आने जाने वाली कई ट्रेनें रोकी गईं. दलित संगठनों के इस आंदोलन की तपिश ने सत्ता राजनीति के हाथ पांव फुला दिए हैं. ये सरकारी मशीनरी को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि ये आंदोलन इतनी तेजी और सघनता से फैल सकता है. प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों लगता है पूरी तरह मुस्तैद नहीं थे.

सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने एक फैसले में कहा था कि एससी-एसटी अधिनियम के तहत पब्लिक सर्वेंट की गिरफ्तारी, एपॉयंटिंग अथॉरिटी की मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती है. आम लोगों को भी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मंजूरी के बाद ही इस मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है. इस कानून के तहत इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को शिकायत के आधार पर तुरंत गिरफ्तार कर लिये जाने का प्रावधान था. दलित समुदाय इस फैसले से आहत है. उसके मुताबिक ये एक तरह से कानून को लचीला बनाने की कोशिश थी और उसे डर है कि दलितों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ेगी और उन्हें जैसे मर्जी धमकाया जाएगा. मानवाधिकार संगठनों और कई गैर बीजेपी दलों ने भी इस फैसले की आलोचना की थी और सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए थे. खुद बीजेपी के भीतर से दलित नेताओ ने फैसले के खिलाफ एक सुर में आपत्ति जताई थी. जाहिर है ये उनका वोट की राजनीति का भी डर था.
कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ़ एट्रोसिटीज़) एक्ट को लेकर कहा था कि इन मामलों में तुरंत गिरफ़्तारी नहीं होनी चाहिए और शुरुआती जाँच के बाद ही कार्रवाई होनी चाहिए.

दलित संगठन कोर्ट के इस फ़ैसले से नाराज़ हैं और उन्होंने इसके ख़िलाफ़ भारत बंद का आह्वान किया था.

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के विरोध में सोमवार को कई दलित संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया.

भारत बंद को कई राजनीतिक दलों और कई संगठनों ने समर्थन भी दिया है. संगठनों की मांग है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन को वापस लेकर एक्ट को पहले की तरह लागू किया जाए.

एससी/एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के विरोध में भारत के कई हिस्सों में भारत बंद के दौरान दलितों ने प्रदर्शन किया और इस दौरान कई राज्यों में हिंसा भी हुई.

बता दें कि लुधियाना में दलितों की अच्छी आबादी है और इसी वजह से प्रशासन सचेत है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) एक्ट-1989 में बदलाव करते हुए गैर जमानतीय धाराओं को कमजोर कर दिया है। अब कोर्ट की जगह आरोपी को थाने से भी जमानत मिल सकती है। इस बदलाव के खिलाफ देशभर के दलित संगठनों ने सरकार से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का अनुरोध किया था। दलित संगठनों की अगुवा संस्था नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित आदिवासी ऑर्गनाइजेशन के अशोक भारती ने आज (01 अप्रैल को) संसद घेराव का कार्यक्रम भी रखा था। इस बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने आंदोलनकारियों से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी। दलित संगठनों की मांग है कि संशोधन को वापस लेकर पहले की ही तरह एससी-एसटी कानून को लागू किया जाय।


एससी-एसटी एक्ट पर केंद्र सरकार की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह जल्द ही इस मसले पर सुनवाई करेगा। वहीं अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा है कि दलित आंदोलन और भारत बंद के चलते देश में हालात बहुत कठिन है। इस संवेदनशील मुद्दे पर जल्द सुनवाई होनी चाहिए
SC/ ST के खिलाफ अपराध लगातार जारी है आंकडें बताते हैं कि कानून के लागू करने में कमजोरी है न कि इसका दुरुपयोग हो रहा है। बता दें कि जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान अग्रिम जमानत का आदेश दिया था।

केंद्र ने अपनी पुनर्विचार याचिका में यह भी कहा है कि अगर अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार के तहत आरोपी के अधिकारों को सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है तो SC/ ST समुदाय के लोगों को भी संविधान के अनुच्छेद 21 और छूआछात प्रथा के खिलाफ अनुच्छेद 17 के तहत सरंक्षण जरूरी है।
अगर आरोपी को अग्रिम जमानत दी गई तो वो पीडित को आतंकित करेगा और जांच को रोकेगा. 

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट शाहिद अली ने सोशल मीडिया के जरिए सभी बहुजनों से अपील किया हैं कि 2 अप्रैल के भारत बंदी में जिसे भी पुलिस ने झूठे मुकदमे में फसाया गया हैं. उसकी पैरवी यूनाइटेड मुस्लिम्स फ्रंट के अधिवक्ता मुफ्त में करेंगे.

एडवोकेट शाहिद अली ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि SC/ST/OBC समाज के सभी भाई और बहनों, जिनका भी भारत बंद के दौरान झुठे मुकदमों में नाम आया हैं,उन सभी का केस यूनाइटेड मुस्लिम्स फ्रंट के अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेंगे और वो भी निःशुल्क!!!
एडवोकेट शाहिद अली का इस तरह का फैसला पहला नहीं हैं, इससे पहले भी उन्होंने बहुत सारे गरीब जरुरतमंदों की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी मुफ्त में की है.



Thursday, 5 April 2018

ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का जीवन

अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम (अंग्रेज़ी:Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam; जन्म: 15 अक्तूबर, 1931, रामेश्वरम; मृत्यु: 27 जुलाई, 2015शिलांग) जिन्हें डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नाम से जाना जाता है, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, प्रसिद्ध वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात थे। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई,2007 तक रहा। उन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है। वह एक गैर राजनीतिक व्यक्ति रहे। विज्ञान की दुनिया में चमत्कारिक प्रदर्शन के कारण ही राष्ट्रपति भवनके द्वार उनके लिए स्वत: खुल गए। जो व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है, उसके लिए सब सहज हो जाता है और कुछ भी दुर्लभ नहीं रहता। अब्दुल कलाम इस उद्धरण का प्रतिनिधित्व करते नज़र आते थे। उन्होंने विवाह नहीं किया था। उनकी जीवन गाथा किसी रोचक उपन्यास के नायक की कहानी से कम नहीं है। चमत्कारिक प्रतिभा के धनी अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व इतना उन्नत था कि वह सभी धर्म, जाति एवं सम्प्रदायों के व्यक्ति नज़र आते थे। वह एक ऐसे स्वीकार्य भारतीय थे, जो सभी के लिए 'एक महान् आदर्श' बन चुके हैं। विज्ञान की दुनिया से देश का प्रथम नागरिक बनना कपोल कल्पना मात्र नहीं है, क्योंकि यह एक जीवित प्रणेता की सत्यकथा है।



द्वीपजैसा छोटा सा शहर प्राकृतिक छटा से भरपूर था। शायद इसीलिए अब्दुल कलाम जी का प्रकृति से बहुत जुड़ाव रहा था।

कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर, 1931 को धनुषकोडी गांव, रामेश्वरम, तमिलनाडु में मछुआरे परिवार में हुआ था, वे तमिल मुसलमान थे. इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है. इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था. वे एक मध्यम वर्गीय परिवार के थे. इनके पिता अपनी नाव मछुआरों को देकर घर चलाते थे. बालक कलाम को भी अपनी शिक्षा के लिए बहुत संघर्ष करना पढ़ा था. वे घर घर अख़बार बाटते और उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरते थे. अब्दुल कलामजी ने अपने पिता से अनुशासन, ईमानदारी एवं उदार स्वभाव में रहना सिखा था. इनकी माता जी ईश्वर में असीम श्रद्धा रखने वाली थी. कलाम जी के 3 बड़े भाई व् 1 बड़ी बहन थी. वे उन सभी के बहुत करीब रिश्ता रखते थे.

किशोरावस्था में अब्दुल कलाम

रामेश्वरम का प्राकृतिक सौन्दर्यसमुद्र की निकटता के कारण सदैव बहुत दर्शनीय रहा है। उनके पिता'जैनुलाब्दीन' न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। वे नाविक थे, और नियम के बहुत पक्के थे। उनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। उनके संबंध रामेश्वरम के हिन्दू नेताओं तथा अध्यापकों के साथ काफ़ी स्नेहपूर्ण थे। अब्दुल कलाम ने अपनी आरंभिक शिक्षा जारी रखने के लिए अख़बार वितरित करने का कार्य भी किया था।



एक विलक्षण व्यक्तित्व हमेशा के लिए अलविदा कह गया. भारत की 'अग्नि' मिसाइल को उड़ान देने वाले मशहूर वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम नहीं रहे. शिलॉन्ग आईआईएम में लेक्चर देते हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा. आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं कर सके. 83 वर्ष केकलाम साथ छोड़ चुके थे .

एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम था. एक मछुआरे का बेटा अखबार बेचा करता था. यह कलाम के जीवन का शुरुआती सफर था. वे देश के चोटी के वैज्ञानिक बने और फिर सबसे बड़े राष्ट्रपति पद को भी शोभायमान किया. वे करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत रहे. अपनी वाक कला से हजारों की भीड़ को मंत्र-मुग्ध करते रहे. युवाओं में नया करने का जोश और हौसला भरते रहे. दो दर्जन किताबों में अपने अनुभव का निचोड़ पेश किया. लेकिन अंत तक ट्विटर प्रोफाइल पर खुद को एक 'लर्नर' बताते रहे.

ट्विटर पर उनका परिचय इस तरह है, 'साइंटिस्ट, टीचर, लर्नर, राइटर. भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में सेवाएं दीं. 2020 तक भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए काम कर रहा हूं.'

जानिए कलाम के बारे में 10 खास बातें:

1. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ.

2. पेशे से नाविक कलाम के पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे. ये मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे. पांच भाई और पांच बहनों वाले परिवार को चलाने के लिए पिता के पैसे कम पड़ जाते थे इसलिए शुरुआती शिक्षा जारी रखने के लिए कलाम को अखबार बेचने का काम भी करना पड़ा.

4. आठ साल की उम्र से ही कलाम सुबह 4 बचे उठते थे और नहा कर गणित की पढ़ाई करने चले जाते थे. सुबह नहा कर जाने के पीछे कारण यह था कि प्रत्येक साल पांच बच्चों को मुफ्त में गणित पढ़ाने वाले उनके टीचर बिना नहाए आए बच्चों को नहीं पढ़ाते थे. ट्यूशन से आने के बाद वो नमाज पढ़ते और इसके बाद वो सुबह आठ बजे तक रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर न्यूज पेपर बांटते थे.

5. कलाम ‘एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी’ में आने के पीछे अपनी पांचवी क्लास के टीचर सुब्रह्मण्यम अय्यर को बताते हैं. वो कहते हैं, ‘वो हमारे अच्छे टीचर्स में से थे. एक बार उन्होंने क्लास में पूछा कि चिड़िया कैसे उड़ती है? क्लास के किसी छात्र ने इसका उत्तर नहीं दिया तो अगले दिन वो सभी बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए. वहां कई पक्षी उड़ रहे थे. कुछ समुद्र किनारे उतर रहे थे तो कुछ बैठे थे. वहां उन्होंने हमें पक्षी के उड़ने के पीछे के कारण को समझाया साथ ही पक्षियों के शरीर की बनावट को भी विस्तार पूर्वक बताया जो उड़ने में सहायक होता है. उनके द्वारा समझाई गई ये बातें मेरे अंदर इस कदर समा गई कि मुझे हमेशा महसूस होने लगा कि मैं रामेश्वरम के समुद्र तट पर हूं और उस दिन की घटना ने मुझे जिंदगी का लक्ष्य निर्धारित करने की प्रेरणा दी. बाद में मैंने तय किया कि उड़ान की दिशा में ही अपना करियर बनाउं. मैंने बाद में फिजिक्स की पढ़ाई की और मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की.’

6. 1962 में कलाम इसरो में पहुंचे. इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया. 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया. उन्होंने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें भारतीय तकनीक से बनाईं.

7. 1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे. इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया. कलाम ने विजन 2020 दिया. इसके तहत कलाम ने भारत को विज्ञान के क्षेत्र में तरक्की के जरिए 2020 तक अत्याधुनिक करने की खास सोच दी गई. कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे.

8. 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया. उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया. कलाम ने तब रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. वीएस अरुणाचलम के साथ इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) का प्रस्ताव तैयार किया. स्वदेशी मिसाइलों के विकास के लिए कलाम की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई.

9. इसके पहले चरण में जमीन से जमीन पर मध्यम दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बनाने पर जोर था. दूसरे चरण में जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टैंकभेदी मिसाइल और रिएंट्री एक्सपेरिमेंट लॉन्च वेहिकल (रेक्स) बनाने का प्रस्ताव था. पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग नाम के मिसाइल बनाए गए. कलाम ने अपने सपने रेक्स को अग्नि नाम दिया. सबसे पहले सितंबर 1985 में त्रिशूल फिर फरवरी 1988 में पृथ्वी और मई 1989 में अग्नि का परीक्षण किया गया. इसके बाद 1998 में रूस के साथ मिलकर भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने पर काम शुरू किया और ब्रह्मोस प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की गई. ब्रह्मोस को धरती, आसमान और समुद्र कहीं भी दागी जा सकती है. इस सफलता के साथ ही कलाम को मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्धि मिली और उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.

10. कलाम को 1981 में भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में भारत रत्न प्रदान किया. भारत के सर्वोच्च पर पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया.

सत्तर और अस्सी के दशक में अपने कार्यों और सफलताओं से डॉ कलाम भारत में बहुत प्रसिद्द हो गए और देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में उनका नाम गिना जाने लगा। उनकी ख्याति इतनी बढ़ गयी थी की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपने कैबिनेट के मंजूरी के बिना ही उन्हें कुछ गुप्त परियोजनाओं पर कार्य करने की अनुमति दी थी।

भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ का प्रारम्भ डॉ कलाम के देख-रेख में किया। वह इस परियोजना के मुख कार्यकारी थे। इस परियोजना ने देश को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी है।

जुलाई 1992 से लेकर दिसम्बर 1999 तक डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार और रक्षा अनुसन्धान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सचिव थे। भारत ने अपना दूसरा परमाणु परिक्षण इसी दौरान किया था। उन्होंने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आर. चिदंबरम के साथ डॉ कलाम इस परियोजना के समन्वयक थे। इस दौरान मिले मीडिया कवरेज ने उन्हें देश का सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया।

वर्ष 2011 में प्रदर्शित हुई हिंदी फिल्म ‘आई ऍम कलाम’ उनके जीवन से प्रभावित है।

शिक्षण के अलावा डॉ कलाम ने कई पुस्तकें भी लिखी जिनमे प्रमुख हैं – ‘इंडिया 2020: अ विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम’, ‘विंग्स ऑफ़ फायर: ऐन ऑटोबायोग्राफी’, ‘इग्नाइटेड माइंडस: अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया’, ‘मिशन इंडिया’, ‘इंडोमिटेबल स्पिरिट’ आदि।

पुरस्कार और सम्मान

देश और समाज के लिए किये गए उनके कार्यों के लिए, डॉ कलाम को अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लगभग 40 विश्वविद्यालयों ने उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी और भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया।
इस महान पुरुष  का जितना बखान किया जाये उतना कम है
इनकी  आलोचना करने वाला जिंदगी में कोई नहीं मिलेगा
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