Thursday, 29 March 2018

मनुस्मृति के विचार

जय भीम  जय भारत
मनुस्मृति क  विचार
इससे पहले की हम मनुस्मृति क्यों जलाई गयी को जाने, मनुस्मृति का मकसद जान लेते हैं, मनुस्मृति संविधान इसलिए लिखा गया था की हारे हुए बौद्ध/राक्षश/असुर/दलित  फिर दोबारा संगठित होकर सर न उठा पाएं, उनका परमानेंट गुलाम बनाने का ग्रन्थ है मनुस्मृति, आईये मनुस्मृति पर ओशो जी के विचार से शुरू करते हैं
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 मै कहता हूं
 मनुस्मृति दहन भूमि। – ब्राहम्णवाद को दफनाओ। – छुआछूत को नष्ट करो । 

मनुस्मृति क्यों जलाई गई पढें
“ गरीब आदमी तो क्रांति की कल्पना भीनहीं कर सकते क्योंकि उसको तो किसी भीप्रकार कि शिक्षा की अनुमति ही नहीं दी गई.उसे अपने से उपर के तीन वर्णों से किसी भीसंपर्क से मना कर दिया गया वो शहर केबाहर रहता है वो शहर के अंदर नहीं रहसकता.गरीब लोगों के कुँए इतने गहरे नहीं हैं वे कुँए बनाने में ज्यादा पैसा नहीं डाल सकतेहैं. व्यवसायियों के पास अपने बड़े और गहरेकुँए है और राजा के पास अपने कुँए है ही। अगर कभी बारिश नहीं आए और उसके कुँएसूख रहे होते हैं, तो भी शूद्र को अन्य किसीके कुएं से पानी लेने की अनुमति नहीं है उसको किसी नदी से पानी लाने के लिए दसमील दूर जाना पड़ सकता है. वो इतना भूखाहै की दिन मे एक बार के भोजन का प्रबंधनकरना भी मुश्किल है |उसको कोई पोषणनहीं मिलता,वे कैसे क्रांति के बारे में सोचसकते हैं? वह यह जानता है कि कि यहीउसकी किस्मत है: पुजारी ने उनको यहीबताया है यही उनकी मानसिकता में जड़ करगया है|“इश्वर ने आप को अपने पर भरोसादिखाने का मौका दे दिया है. यह गरीबी  कुछभी नहीं है, यह कुछ वर्षों के लिए ही है,आपवफादार रह सकते हैं तो आपको महान फ़लमिलेगा”| तो एक तरफ़ तो पुजारी किसी भीपरिवर्तन के खिलाफ उन्हें ये उपदेश देताजाता है है, और दूसरी तरफ वे परिवर्तन करभी नहीं सकते क्योकि वे कुपोषण काशिकार हैं. और आप के लिये एक बातसमझने की है कि कुपोषित व्यक्ति बुद्धि बलखो देता है. बुद्धि बल वहीँ खिलता है जहाँ वोसब कुछ होता है है जिसकी शरीर कोजरूरत है,इतना ही नहीं इसके साथ साथ‘कुछ और’ भी चाहिए. ये जो ‘कुछ और’और है यही तो बुद्धि हो जाता है,बुद्धि एकलक्जरी है. एक दिन में केवल एक बारभोजन करने वाला व्यक्ति के पास कुछ भीनहीं है, बुद्धि विकसित करने के लिए उस्केपास कोई ऊर्जा नहीं है. यह बुद्धिजीवी वर्ग हैजो विचारों, नए दर्शन, जीवन के नए तरीके,भविष्य के लिए नए सपने बनाता है| लेकिनयहाँ बुद्धिजीवि तो शीर्ष पर पहले से ही है.वास्तव में भारत मे जबरदस्त महत्व का कामकिया गया है विश्व का कोई अन्य देश इतनासक्षम नहीं है कि  इस तरह के किसीवैज्ञानिक तरीके से यथास्थिति बनाए रखें.और आप हैरान होंगे ये एक आदमी ने किया,वो मनु था. हजारों साल बाद उसके सूत्रअभी भी  वास्तव में वैसे के वैसे पालन कियेजा रहे हैं|” … ओशो रजनीश. Book Title: The Last Testament, Vol. 2.       //  Chapter 6: The Intelligent Way
मनुस्मृति का इतिहास
कहने वाले कहते हैं कि आज मनुस्मृति को कौन जानता और मानता है, इसलिए अब मनु स्मृति पर हाथ धो कर पड़ने से क्या फायदा- यह एक मरे हुए सांप को मारना है. हमारा कहना है कि कई सांप इतने जहरीले होते हैं कि उन्हें सिर्फ मारना ही पर्याप्त नहीं समझा जाता बल्कि उसके मृत शरीर से निकला जहर किसी को हानि न पहुंचा दे इसलिए उसे जलाना भी पड़ता है.
वैसे मनु स्मृति जैसी घटिया किताब कि तुलना बेचारे सांप से करना मुझे अच्छा नहीं लग रहा. बेचारे सांप तों यूँ ही बदनाम हैं, और अधिकाँश तों यूँ ही मार दिए जाते हैं. फिर भी सांप के काटने से एकाध आदमी ही मरता हैं जबकि मनु स्मृति जैसे ग्रन्थ तों दीर्घकाल तक पूरे समाज को डस लेते हैं. क्या ऐसे कृतियों की अंत्येष्टि यथासंभव किया जाना अनिवार्य नहीं हैं?

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